आंध्र प्रदेश में कौशल जनगणना: जाति जनगणना के विरुद्ध एक नई पहल

मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में आंध्र प्रदेश एक कौशल जनगणना कर रहा है। यह पहल तब आई जब विपक्षी दल जाति जनगणना की मांग कर रहे थे। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने कौशल जनगणना को जाति जनगणना के मुकाबले “बेहतर” विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया। चुनाव से पहले, नायडू ने कौशल जनगणना को प्राथमिकता दी और इसे अपने चुनावी वादे के रूप में शामिल किया।

कौशल जनगणना का उद्देश्य
कौशल जनगणना का उद्देश्य राज्य के लोगों के कौशल और क्षमताओं का आकलन करना है। यह व्यापक सर्वेक्षण शिक्षा, कार्य अनुभव, प्रशिक्षण और कौशल प्रवीणता के स्तर पर जानकारी एकत्रित करेगा।

मुख्य उद्देश्य:
कौशल प्रोफाइल का आकलन: विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद विविध कौशल सेट की पहचान करना।
कौशल आवश्यकताओं का आकलन: विभिन्न क्षेत्रों जैसे विनिर्माण, निर्माण और सेवाओं में आवश्यक कौशल का निर्धारण।
कौशल असमानताओं का आकलन: मांग और उपलब्ध कौशल के बीच अंतर को उजागर करना।
नीतिगत निर्णयों को सूचित करना: डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि के माध्यम से प्रभावी कौशल प्रशिक्षण, शिक्षा और रोजगार नीतियों को डिजाइन करना।
व्यक्तियों को सशक्त बनाना: व्यक्तियों को प्रासंगिक कौशल सेट तक पहुंचने, सूचित करियर विकल्प बनाने और उनकी रोजगार योग्यता को बढ़ाने में मदद करना।
आंध्र प्रदेश में कौशल जनगणना का महत्व
आंध्र प्रदेश में उच्च बेरोजगारी दर का समाधान करने के लिए यह कदम उठाया गया है। राज्य की बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है और युवा बेरोजगारी दर और भी चिंताजनक है।

निष्कर्ष
कौशल जनगणना राज्य की मानव पूंजी को बढ़ाने और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल राज्य में सतत विकास और उत्पादकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।

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