मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि महायुति में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद कुछ नेताओं की नाराजगी से देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
मुख्य बिंदु:
एनसीपी नेता छगन भुजबळ के मंत्रिमंडल से बाहर रहने पर नाराजगी सार्वजनिक हो गई है।
भुजबळ ने मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान ओबीसी कोटे में मराठों के आरक्षण का विरोध किया था।
संजय राउत ने कहा कि भुजबळ का समर्थन करने वाली ‘अदृश्य ताकत’ अब उन्हें अकेला छोड़ चुकी है।
राउत ने कहा कि यह वही ताकत है जिसने शिवसेना में एकनाथ शिंदे गुट को मजबूत किया था।
महायुति के कम से कम 10 पूर्व मंत्री, जिनमें बीजेपी के सुधीर मुनगंटीवार और शिवसेना के अब्दुल सत्तार शामिल हैं, नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं पा सके।
राउत ने कहा कि नाराज विधायक थोड़े समय के लिए शिकायत करेंगे लेकिन उन्हें मना लिया जाएगा।
उन्होंने भुजबळ के संदर्भ में कहा, “देखना होगा कि उनमें अब कितनी मानसिक और शारीरिक ताकत बची है।”
कुछ विधायक मंत्रिमंडल में जगह न मिलने पर आंसू बहा रहे हैं, लेकिन इसका सरकार पर कोई खतरा नहीं है।
संजय राउत ने बीजेपी पर राजनीतिक खेल खेलने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि महायुति में असंतोष के बावजूद सरकार को कोई बड़ा खतरा नहीं है।
छगन भुजबळ ने मंत्रिमंडल में जगह न मिलने पर खुलकर नाराजगी जताई है।
संजय राउत ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्ता में ‘दबाव की राजनीति’ चल रही है।
उन्होंने कहा कि महायुति में अंतर्निहित मतभेद जल्द ही उजागर होंगे।
राउत का बयान ऐसे समय आया है जब महाराष्ट्र की राजनीति में असंतोष की चर्चा जोरों पर है।
उन्होंने कहा कि महायुति के नाराज विधायक विरोध में ज्यादा आगे नहीं जाएंगे।
संजय राउत ने यह भी कहा कि नाराज नेताओं को भविष्य में कोई संतोषजनक हल दिया जा सकता है।
राज्य सरकार की स्थिरता को लेकर संजय राउत ने निश्चिंतता जाहिर की।