ड्रोन के लिए नया खगोलीय नेविगेशन सिस्टम: अब GPS की नहीं होगी जरूरत.

एडिलेड: ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया (यूनिसा) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा खगोलीय नेविगेशन सिस्टम विकसित किया है जो ड्रोन को बिना जीपीएस के उड़ान भरने में सक्षम बनाता है। यह सिस्टम तारों का अवलोकन करके ड्रोन को अपना रास्ता खोजने में मदद करता है।

जीपीएस सिग्नल जैमिंग या खराब होने की स्थिति में यह तकनीक बेहद उपयोगी साबित हो सकती है। विशेष रूप से युद्ध क्षेत्रों या समुद्र के ऊपर उड़ान भरने वाले ड्रोन के लिए यह तकनीक काफी फायदेमंद होगी।

इस नए सिस्टम को डिजाइन करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि यह सिस्टम पारंपरिक तारा-आधारित नेविगेशन सिस्टम से काफी हल्का, सस्ता और सरल है। इसे छोटे ड्रोन में भी आसानी से लगाया जा सकता है।

कैसे काम करता है यह सिस्टम?

यह सिस्टम ड्रोन में लगे कैमरे से तारों की तस्वीरें लेता है और फिर एक अल्गोरिथ्म की मदद से इन तस्वीरों का विश्लेषण करता है। इस विश्लेषण के आधार पर ड्रोन अपनी स्थिति का पता लगा लेता है।

इस तकनीक के फायदे:

जीपीएस जैमिंग से सुरक्षित: यह सिस्टम जीपीएस सिग्नल पर निर्भर नहीं करता है, इसलिए इसे आसानी से जाम नहीं किया जा सकता।
सस्ता और हल्का: यह सिस्टम पारंपरिक तारा-आधारित नेविगेशन सिस्टम से काफी सस्ता और हल्का है।
छोटे ड्रोन के लिए उपयुक्त: इसे छोटे ड्रोन में भी आसानी से लगाया जा सकता है।
इस तकनीक का उपयोग:

इस तकनीक का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जा सकता है, जैसे कि:

सैन्य: युद्ध क्षेत्रों में जहां जीपीएस सिग्नल जाम हो जाते हैं, वहां ड्रोन को उड़ाने के लिए।
समुद्री: समुद्र के ऊपर उड़ान भरने वाले ड्रोन के लिए।
अंतरिक्ष: उपग्रहों को नेविगेट करने के लिए।
निष्कर्ष:

यह नई तकनीक ड्रोन की दुनिया में एक क्रांति ला सकती है। इससे ड्रोन को अधिक स्वायत्त और लचीला बनाया जा सकता है।

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