भारत और अन्य विकासशील देशों ने चल रहे COP29 जलवायु शिखर सम्मेलन में निष्पक्ष जलवायु वित्त की मांग की है। ये देश जलवायु वित्त के वितरण में पारदर्शिता और समानता पर जोर दे रहे हैं।
जलवायु वित्त क्या है?
जलवायु वित्त का मतलब है उन वित्तीय संसाधनों से, चाहे वे सार्वजनिक हों या निजी, जो जलवायु परिवर्तन को कम करने और उसके प्रभावों के अनुकूल होने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इसमें स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, जलवायु-लचीले बुनियादी ढांचे और अन्य जलवायु-अनुकूल पहलों के लिए धन शामिल है।
निष्पक्ष जलवायु वित्त क्यों महत्वपूर्ण है?
निष्पक्ष जलवायु वित्त विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे अक्सर जलवायु परिवर्तन से असमान रूप से प्रभावित होते हैं। उन्हें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल होने और कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्थाओं में संक्रमण करने के लिए वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है।
जलवायु वित्त पर भारत का रुख
भारत निष्पक्ष जलवायु वित्त का एक मजबूत समर्थक रहा है। देश ने विकसित देशों से विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के अपने वादों को पूरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। भारत ने एक नए वैश्विक जलवायु वित्त लक्ष्य का भी आह्वान किया है जो महत्वाकांक्षी और न्यायसंगत हो।
जलवायु वित्त लक्ष्यों को प्राप्त करने में चुनौतियाँ
जलवायु वित्त लक्ष्यों को प्राप्त करने में कई चुनौतियाँ हैं। इनमें धन के आवंटन में पारदर्शिता की कमी, धन तक पहुंचने के लिए जटिल प्रक्रियाएँ और अधिक नवीन वित्तपोषण तंत्रों की आवश्यकता शामिल है।
आगे क्या?
COP29 शिखर सम्मेलन इन चुनौतियों का समाधान करने और जलवायु वित्त पर प्रगति करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। शिखर सम्मेलन के परिणाम जलवायु परिवर्तन से लड़ने के वैश्विक प्रयास के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव डालेंगे।