बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कस्टम विभाग को निर्देश दिया कि वह मशहूर कलाकार फ. एन. सूजा और अकबर पदमसी की जब्त की गई कलाकृतियों को तुरंत रिहा करें। इन कलाकृतियों को पिछले साल कथित “अश्लील सामग्री” के आरोप में जब्त किया गया था।
जस्टिस एम. एस. सोनक और जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने मुंबई कस्टम विभाग के सहायक आयुक्त द्वारा जुलाई 2024 में जारी जब्ती के आदेश को निरस्त किया। अदालत ने कहा कि कस्टम अधिकारियों ने कला और अश्लीलता के बीच अंतर को समझे बिना यह कदम उठाया।
मुंबई के व्यवसायी और कला प्रेमी मुस्तफा कराचिवाला की कंपनी बी. के. पोलीमेक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर कोर्ट ने यह फैसला दिया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि कस्टम विभाग अगले दो हफ्तों के भीतर कलाकृतियों को याचिकाकर्ता को सौंपे।
याचिकाकर्ता का तर्क था कि कस्टम का जब्ती का आदेश मनमाना और गैर-कानूनी था। उन्होंने कहा कि मशहूर कलाकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को अश्लील कहना अनुचित है।
कस्टम विभाग ने अप्रैल 2023 में सात कलाकृतियों को जब्त किया था, जिसमें फोलियो में चार चित्र शामिल थे, जिनमें से एक सूजा की “लवर्स” नामक पेंटिंग थी। इसके साथ ही अकबर पदमसी के “न्यूड” शीर्षक वाले ड्राइंग और दो तस्वीरें भी शामिल थीं। इन कलाकृतियों को “अश्लील सामग्री” मानते हुए मुंबई कस्टम ने इन्हें रिलीज करने से इनकार कर दिया था।
याचिका में कहा गया कि ये कलाकृतियां आधुनिक भारतीय कला का खजाना हैं और इन्हें सम्मान मिलना चाहिए। इसके अलावा, कस्टम अधिकारियों को कला की समझ न होने का हवाला देते हुए कहा गया कि हर नग्न चित्र या पेंटिंग अश्लील नहीं होती।
अदालत ने कस्टम विभाग से आदेश दिया कि वह कला को समझते हुए कलाकृतियों को रिहा करे और इस मामले में एक नजीर पेश करे।