अदालत ने कहा कि ये बदलाव अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं और सरकार को किसी भी तरह की सेंसरशिप लगाने का अधिकार नहीं देते हैं।
अदालत के फैसले का स्वागत कई लोगों ने किया है, जिन्होंने कहा कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, कुछ लोगों ने चिंता व्यक्त की है कि यह फैसला अब भी फेक न्यूज से निपटने के लिए सरकार की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
केंद्र सरकार ने अभी तक इस फैसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह देखना बाकी है कि सरकार इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी या नहीं।
अदालत के फैसले से स्पष्ट है कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बहुत महत्व देती है। यह फैसला भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है।