नीट यूजी 2024 के परिणामों ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। इस परीक्षा में 720 में से सिर्फ 135 अंक लाने वाले एक उम्मीदवार को एक निजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिल गया है। यह मामला इसलिए चौंकाने वाला है क्योंकि यह कुल संभावित अंकों का केवल 19% है।
दरअसल, इस साल की नीट यूजी काउंसलिंग में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जहां सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए काफी अधिक अंक चाहिए थे, वहीं निजी कॉलेजों में कम अंकों पर भी प्रवेश मिल गया।
क्यों है यह मामला चौंकाने वाला?
असमानता: सरकारी और निजी कॉलेजों के बीच प्रवेश मानकों में काफी अंतर दिखाई दे रहा है।
क्वालिटी का सवाल: क्या इतने कम अंकों पर प्रवेश पाने वाले छात्र मेडिकल क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण सेवा दे पाएंगे?
प्राइवेट कॉलेजों की फीस: निजी कॉलेजों में फीस बहुत अधिक होती है। क्या कम अंकों पर प्रवेश पाने वाले छात्र इतनी अधिक फीस अदा कर पाएंगे?
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की असमानता से शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठते हैं। उनका कहना है कि मेडिकल शिक्षा के लिए एक समान मानक होना चाहिए और प्रवेश प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।
मुख्य बिंदु:
नीट यूजी 2024 में 135 अंकों पर एमबीबीएस में प्रवेश।
सरकारी और निजी कॉलेजों में प्रवेश मानकों में अंतर।
शिक्षा व्यवस्था पर सवाल।
प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग।