असम में बीफ पर बैन की घोषणा से विवाद, कांग्रेस नेता ने बताया संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन.

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर बीफ खाने पर प्रतिबंध की घोषणा के बाद विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस के पूर्व सांसद अब्दुल खालिक ने इसे नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया।

मुख्य बिंदु:

  1. मुख्यमंत्री की घोषणा:
    • मुख्यमंत्री सरमा ने सार्वजनिक स्थलों, होटल और रेस्टोरेंट में बीफ परोसने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की।
  2. कानूनी प्रक्रिया का सवाल:
    • अब्दुल खालिक ने कहा कि बिना विधेयक या अध्यादेश के इस घोषणा को लागू नहीं किया जा सकता।
  3. संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन:
    • खालिक ने कहा कि संविधान हर नागरिक को खाने और पहनने की स्वतंत्रता देता है।
  4. राजनीति का आरोप:
    • खालिक ने बीजेपी पर बीफ और हिजाब जैसे मुद्दों पर राजनीति करने का आरोप लगाया।
  5. कानूनी विशेषज्ञ की राय:
    • वरिष्ठ वकील शांतनु बरठाकुर ने इसे “निजता के अधिकार” (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन बताया।
  6. अन्य राज्यों में बीफ:
    • महाराष्ट्र के दलित और केरल में बीफ आमतौर पर खाया जाता है।
  7. बीफ पर कानून का प्रावधान:
    • असम सरकार ने 2021 में असम मवेशी संरक्षण अधिनियम लागू किया, जो बीफ की बिक्री और परिवहन को नियंत्रित करता है।
  8. धार्मिक स्थलों के पास प्रतिबंध:
    • कानून के अनुसार, धार्मिक स्थलों और हिंदू, जैन और सिख बहुल क्षेत्रों के 5 किमी के दायरे में बीफ बिक्री प्रतिबंधित है।
  9. बीफ और धर्म:
    • वकील बरठाकुर ने कहा कि सरकार केवल उन खाद्य पदार्थों पर प्रतिबंध लगा सकती है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
  10. अंतरराष्ट्रीय तुलना:
  • उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां ऐसे प्रतिबंध उचित नहीं हैं।

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