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गढ़वा बाईपास उद्घाटन पर JMM प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य का केंद्र सरकार पर निशाना, टोल वसूली और लागत को लेकर उठाए कई सवाल

JMM spokesperson Supriyo Bhattacharya targeted the central government on the inauguration of Garhwa bypass, raised many questions about toll collection and cost

Ranchi/Garhwa: भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के झारखंड दौरे के दौरान गढ़वा में 22 किलोमीटर लंबे बाईपास का लोकार्पण किया गया, जिसकी लागत लगभग ₹1159 करोड़ बताई गई है। इस अवसर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रेस वार्ता कर केंद्र सरकार और भाजपा पर तीखे सवाल उठाए।

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि यह झारखंड के लिए एक विशेष दिन हो सकता था, लेकिन गढ़वा जैसे पिछड़े इलाके में टोल टैक्स की पहले से वसूली और भारी लागत को लेकर कई सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने पूछा कि जब टोल वसूली कई हफ्तों से हो रही थी, तब उद्घाटन की जरूरत क्या थी?

उन्होंने गढ़वा बाईपास की ₹1159 करोड़ लागत पर भी सवाल उठाया और तुलना करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा बनाए गए कांटा टोली और सिरम टोली फ्लाईओवर की कुल लागत ₹355.6 करोड़ रही, जबकि इन परियोजनाओं में आधुनिक तकनीक का उपयोग हुआ और काम की गुणवत्ता भी बेहतर रही।

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रातू रोड एलिवेटेड कॉरिडोर पर भी उन्होंने केंद्र सरकार को घेरा और कहा कि केंद्रीय रक्षा मंत्री द्वारा घोषित ₹400 करोड़ की लागत दरअसल ₹558 करोड़ निकली, जो पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है।

सुप्रियो भट्टाचार्य ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गडकरी जी को पत्र लिखकर कार्यक्रम टालने का अनुरोध किया था, बावजूद इसके उद्घाटन कार्यक्रम में राज्य सरकार के स्थानीय जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं किया गया। उन्होंने वित्त मंत्री को राज्य सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर भेजने के फैसले की भी आलोचना की।

उन्होंने भाजपा पर कार्यक्रम को एकतरफा आयोजन में बदलने का आरोप लगाया और कहा कि सांसद संजय सेठ भाजपा का झंडा लेकर कार्यक्रम में उपस्थित रहे, जो संवैधानिक मर्यादाओं के खिलाफ है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि संजय सेठ पर ईडी जांच की बात सामने आ रही है, ऐसे में उनकी सार्वजनिक उपस्थिति भी सवालों के घेरे में है।

झामुमो प्रवक्ता ने गडकरी को एक “ईमानदार मंत्री” बताते हुए उनसे पारदर्शिता की उम्मीद जताई, लेकिन साथ ही कहा कि अगर वे सज्जन व्यक्ति हैं तो उन्हें योजनाओं की असल लागत, टोल नीति और आम जनता की भावना का सम्मान करना चाहिए।

सुप्रियो भट्टाचार्य ने अंत में कहा कि झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है और यहां की जनता की भावनाओं का सम्मान हर संस्था और व्यक्ति को करना चाहिए, चाहे वह केंद्र में हो या राज्य में।

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