चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने गुरुवार को घोषणा की कि राज्य में कम से कम 5300 साल पहले से लोहे की गलाने की तकनीक मौजूद थी। उन्होंने यह खुलासा राज्य पुरातत्व विभाग की एक शोध पुस्तक “एंटीक्विटी ऑफ आयरन (तमिलनाडु से हालिया रेडियोमेट्रिक तिथियां)” के विमोचन के दौरान किया।
यह अध्ययन तूथुकुड़ी जिले की सिवागलाई खुदाई स्थल से निकाले गए कब्रों से प्राप्त तलवारों सहित लोहे की कलाकृतियों की आयु का पता लगाने के लिए विभिन्न प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं में किए गए परीक्षणों पर आधारित है।
पुस्तक के प्रमुख लेखक प्रो. के. राजन, शैक्षणिक और अनुसंधान सलाहकार, तमिलनाडु राज्य पुरातत्व विभाग और आर. शिवानंतम, संयुक्त निदेशक, तमिलनाडु राज्य पुरातत्व विभाग हैं।
सरल भाषा में:
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने बताया कि तमिलनाडु में 5300 साल पहले से ही लोहे को गलाने की तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा था। उन्होंने यह बात एक नई किताब में लिखी गई बातों के आधार पर बताई। इस किताब में बताया गया है कि तमिलनाडु में बहुत पहले से ही लोहे की तलवारें और दूसरे लोहे के सामान बनाए जा रहे थे।